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Monday, June 29, 2015

Hridoy Mandrilo Damaru guru guru (ह्रदय मंद्रिल डमरू गुरुगुरु) by Ravindranath Thakur

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ह्रदय मंद्रिल डमरू गुरुगुरु
घन मेघेर भुरु, (भुरु - eyebrow)
कुटिल कुंचित, होलो रोमांचित
वनवनांतर
दुलिल चंचल वख्ख हिंदोले (वख्ख  - Prakrit for वक्ष - Chest)
मिलन स्वप्ने शे कोन अतिथि रे?

सघन वर्षण शब्द मुखरित
बद्ध सचकित त्रस्त शर्वरी
मालती वल्लरी कांपाय  पल्लव
करून कल्लोले कानन शंकित
झिल्ली झंकृत (झिल्ली - crickets)
ह्रदय मंद्रिल डमरू गुरुगुरु...

By Gurudev Ravindranaath Thakur...