Monday, June 06, 2011

स्वतन्त्रता - अटलबिहारी वाजपेयी - Message to Pakistan- Poem by A B Vajpayee

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एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा ।


अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता । 
त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता ।


इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है । 
औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है ।


अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाडी नहीं चलाओ। 
ओ नादान पडोसी अपनी आँखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ।


पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हे मुफ़्त में मिली न कीमत गयी चुकाई । 
अंग्रेजों के बल पर दो टुकडे पाये हैं, माँ को खंडित करते तुमको लाज ना आई ?


अमरीकी शस्त्रों से अपनी आजादी को दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो । 
दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे यह मत समझो ।


धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो ।
हमलो से, अत्याचारों से, संहारों से भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो ।


जब तक गंगा मे धार, सिंधु मे ज्वार, अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष,
स्वातन्त्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे अगणित जीवन यौवन अशेष ।


अमरीका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा  
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा ।


कवी एवं  वक्ता - माननीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी 


Translation:


Not one, not two, sign as many agreements, the head of free India will not bow
This Freedom !!!which is earned after millions of martyrdoms, 
This Freedom !!! which is irrigated by our blood, sweat and tears,
This Freedom !!! which is protected by sacrifice, penance and hardwork by us,  
This Freedom !!! which is dedicated for upliftment of humanity in sorrow,


Declare this to those who plot against this freedom, that the game of a "spark" is always dangerous,
One who wishes to burn the house of neighbor, More often than not ends up burning his own home...
Do not dig your grave by your own hands, O Foolish neighbours...


O Myopic neighbours, open you eyes and don't try to barter this freedom, it is priceless
But what do you know, what freedom is?? When did you ever fight for it?


You won two pieces under the protection of British, Didn't you feel ashamed while partitioning your Motherland?


Don't ever think that you shall protect this kind of freedom by buying American weapons
Don't ever think you shall evade the coming destruction by taking economic aid from Americans,
Don't ever think you shall win Kashmir by threats, Jihad and atrocities...


Attacks, atrocities, massacres won't make you bow the head of India..
Till Ganga keeps flowing, till the tides in ocean persist,
As long as fire still has heat and Sun radiates light,
There will be millions of lives and youths ready to willingly sacrifice their life on the altar of Motherland for protection of her freedom


Not Just America, even if entire world is against us, they won't be able to snatch Kashmir from us,
Not one, not two, sign as many agreements, the resolve of free India shall never break....


Poet and Orator - Mr. Atalbihari Vajpayee

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